गाँधीजी इतिहास की आर्थिक व्याख्या को नकार देते हैं।
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गाँधीजी इतिहास की आर्थिक व्याख्या को
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यह दलित चिन्तन डा. आम्बेडकर के इस मत को अत्यन्त महत्वपूर्ण मानता है कि इतिहास की आर्थिक व्याख्या का अर्थ यह है कि मजदूर वर्ग को वैसी प्राथमिकता दे, जिस तरह मालिक वर्ग को देता है।
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यह कहना ठीक नहीं कि मार्क्स इतिहास की आर्थिक व्याख्या पेश करते हैं बजाए इसके उनके अनुसार इतिहास की चालक शक्ति वर्ग और वर्ग संघर्ष हैं जो मार्क्स के लेखन में आर्थिक से ज्यादा सामाजिक कोटि हैं ।
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(1908-12) लेखक व्लादीमिर जी सिखोविच पीएचडी कोलंबिया विश्वविद्यालय वह एक-एक करके मार्क्स के सारे सिद्धांतों की आलोचना करते हैं और इन सभी को ख़ारिज करते हैं-मूल्य का सिद्धांत इतिहास की आर्थिक व्याख्या संपदा का थोड़े से हाथों, अर्थात पूँजीपतियों के हाथों में संकेंद्रण, मध्यम वर्ग का पूरी तरह खात्मा और सर्वहारा वर्ग की बाढ़ बढ़ती गरीबी का सिद्धांत, जिसकी परिणति के तौर पर आधुनिक राज्य और सामाजिक व्यवस्था का अपरिहार्य संकट.